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हृदय के तार झंकृत होते प्रियतम की मैं राह निहारूँ पथ में बिछा कर पुष्प अनेक प्राणों का हर तार है गाता मन में भरा उन्मुक्त अनुराग आँखें सजल स्वयं ही ...